आचार्य वीरेंद्र नारायण पिछले 25 वर्षों से ज्योतिष शास्त्र एवं धर्म अध्ययन के क्षेत्र में एक स्थापित व्यक्तित्व हैं। ज्योतिष शास्त्र की लगभग प्रत्येक विधा में आचार्य वीरेंद्र सिद्धहस्त माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अलावा वास्तु शास्त्र एवं जन्म कुंडली विवेचना मैं इन्हें महारत हासिल है। देश के कई सफल व्यक्तित्व राजनीतिक हस्तियां एवं फिल्म कलाकारों के बारे में इनके द्वारा की गयी समस्त भविष्यवाणियां सत्य साबित हुई हैं। मानव जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का ज्योतिषीय समाधान करना आचार्य वीरेंद्र की विशेषता हैं। ज्योतिष में व्याप्त अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक करने एवं वैज्ञानिक पद्धति से अध्यात्म एवं कर्मकांड के विश्लेषण से समस्याओं का समाधान करना इनका अधिकार क्षेत्र हैं। रत्न विधि एवं कर्मकांड के द्वारा समस्याओं के समाधान के कारण इन्हें वर्षों में व्यापक प्रतिष्ठा मिली हैं।
कैरियर में यदि किसी प्रकार की बाधा आ रही हो, किस क्षेत्र में कैरियर का चुनाव किया जाए आदि विषयों पर आचार्य वीरेंद्र नारायण से सटीक समाधान प्राप्त किया जा सकता हैं। व्यवसाय से जुड़ी अनेकानेक परेशानियों जैसे व्यवसाय में घाटा, लगातार धन की हानि को रोकने, व्यवसाय का सटीक चुनाव तथा व्यवसाय में उत्तरोत्तर प्रगति से जुड़े परामर्श पाकर सैकड़ों व्यवसायियों ने अपना व्यापार खड़ा किया और नियमित तौर पर आचार्य वीरेंद्र से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।
अधिक जानिएइन ग्रहों की पूजा आचार्य जी की सिफारिश के अनुसार की जाती है। यह पूजा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से की जाती है ।
03 अक्टूबर 2024 गुरुवार को शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रही है 03 अक्टूबर 2024 - गुरुवार से प्रारंभ होकर 11 अक्टूबर 2024 तक अष्टमी और नवम 11 अक्टूबर को रहेगी विजयदशमी और दशहरे की पूजा 12 अक्टूबर 2024 को होगी 🙏
01- प्रथम मुहूर्त प्रातः 06. बजकर 30 मिनट से प्रातः 07 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
02- द्वितीय मुहूर्त प्रातः 10.41 बजे से 12:09 तक
03- विशेष तृतीया मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त- 11:46 से 12.33 तक इन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करके माता रानी का आशीर्वाद ग्रहण करें
विशेष
नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रही है - माता रानी का आगमन पालकी- डोली में हस्त नक्षत्र में होगा राष्ट्र की जनता के लिए सामान्य फल कहा गया है राष्ट्र की उन्नति के लिए होगा- कुछ देशों में तनाव में वातावरण रहेगा हम सब मिलकर माता रानी की स्थापना पूजा पाठ विश्वास के साथ करें हमारे परिवार में और हमारे आसपास और हमारे देश में और सभी देशों में सुख समृद्धि शांति आयु आरोग्यता बनी रहे इसी कामना से मां भगवती की आराधना करें
कालसर्प दोष निवारण तब बनता है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित होते हैं। जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं यानि चंद्रमा की उत्तरी नोड और चंद्रमा की दक्षिण नोड के बीच कालसर्प योग बनता है। पूर्ण कालसर्प योग तभी बनता है जब कुंडली का आधा भाग ग्रहों से मुक्त हो। कालसर्प योग एक भयानक योग है जो किसी के जीवन को दुखी कर सकता है। इस योग के प्रभाव में आने वाला व्यक्ति कष्ट और दुर्भाग्य का जीवन व्यतीत करता है। यदि यह अत्यधिक पीड़ित है तो यह योग चार्ट के सभी अच्छे योगों को रद्द करने की क्षमता रखता है।